शनिवार, 5 नवंबर 2011


कुछ ऐसी ही एक सड़क,
उस dynamite विस्फोट की याद दिलाती हें,
जिसने पनघट के पहाड़ को फोड़,
जगह बनाई उस सड़क की,
जो हें अब काली-कलूटी डामर की,
मेरे गाँव को जाती हें,....
याद दिलाती हें उस dynamite विस्फोट की,
जिसने, स्त्रोतों के जीवन स्त्रोत जल ख़त्म किये,
गोरु-बाच( गाय-बछड़े) गाँव में कम किये,
सीढ़ी नुमा खेत बंजर किये.....
उसी डामर की कलि-कलूटी सड़क से ही,
इज्जा(माँ) ने भेजा परदेश,
ढूँढने उस जीवन जल स्त्रोत को.....
पर पाऊ कहाँ में अब उसे.....
आज भी इज्जा(माँ) भेजती हें,
हरेले की आशिक और गोलू की विभूति,
जो दिलाती हें याद बारम्बार,
मेरे गाँव की नाम माटी की,
और मडुए, झूंगर, भट्ट, गहत(अनाज)...
सब हरियाली भरी फसलो की.....

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