jijivisha
रविवार, 10 अप्रैल 2011
jijivisha: फूल और पथिक
jijivisha: फूल और पथिक
: "तन्हा उस कंकरीट की, दरार से उगता हुआ वो पौधा, खिला था जिसमे, खिलखिलाता वो फूल। पढ़ी थी नज़र उसमे तुम्हारी कोमल, आश्चर्यचकित, रोमांचित हो, पूछ..."
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