हर बसंत का अपना उन्माद ,
हर बसंत की अपनी जवानी ,
हर बसंत का अपना सृजन ,
हर बसंत की अपनी कहानी।
घर पिछवाड़े आम बौर लिए भरपूर है ,
बाड़े के केले में भी फूल है ,
आंगन में गेंदे है महकते ,
छत पे पंछियों के झुण्ड है चहकते ,
तितलियों ने इंद्रधनुष है बनाये ,
लागे है इस बार बसंत कुछ ख़ास है। .......
हर बसंत की अपनी जवानी ,
हर बसंत का अपना सृजन ,
हर बसंत की अपनी कहानी।
घर पिछवाड़े आम बौर लिए भरपूर है ,
बाड़े के केले में भी फूल है ,
आंगन में गेंदे है महकते ,
छत पे पंछियों के झुण्ड है चहकते ,
तितलियों ने इंद्रधनुष है बनाये ,
लागे है इस बार बसंत कुछ ख़ास है। .......